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विद्युत अपघटन - 5

लैड एसिड सैल व निकिल आयरन सैल की तुलना
लैड एसिड सैल-
विवरण- 1.धनात्मक प्लेट,   PbO (लैड पराऑक्साइड)
2.ऋणात्मक प्लेट, स्पंजी सीसा   
3.इलेक्ट्रोलाइट,   तनु H2SO4  (गन्धक का अम्ल) 
4.औसत e.m.f.   2.1 V (सैल)   
5.आन्तरिक प्रतिरोध, तुलनात्मक कम
6.आपेक्षिक घनत्व, पानी बनने के कारण घटता-बढ़ता है।
7.दक्षता एम्पियर आवर,   90.95%
8.वाट आवर,72.80%
9.कीमत, निकल आयरन सैल से कम है।
10.यान्त्रिक शक्ति,कम
विवरण- लैड एसिड सैल
विवरण- 1.धनात्मक प्लेट,  निकिल हाइड्रोऑक्साइड Ni(OH)4 या निकिल ऑक्साइड (NiO2)
2.ऋणात्मक प्लेट, आयरन ऑक्साइड
3.इलेक्ट्रोलाइट,   पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH)
4.औसत e.m.f.   1.2V (सैल)     
5.आन्तरिक प्रतिरोध, तुलनात्मक कम
6.आपेक्षिक घनत्व, तुलना में अधिक
7.दक्षता 80%,( लगभग)
8.वाट आवर,60%( लगभग)
9.कीमत, लैड एसिड सैल से अधिक है।
10.यान्त्रिक शक्ति, अधिक         
लैड एसिड सैल में इलेक्ट्रोलाइट के आपेक्षिक घनत्व को मापकर आवेशित-निरावेशित अवस्था देखना -
क्र.स.     आवेशित अवस्था/            आपेक्षिक घनत्व
1.पूर्ण आवेशित बैट्री                     1.280-1.300
2.0.75 आवेशित बैट्री                   1.230-1.280
3.0.50 आवेशित बैट्री                   1.200-1.230
4.0.25 आवेशित बैट्री                   1.170-1.200
5.निरावेशित अवस्था                  1.110-1.140

विद्युत अपघटन - 4

प्राथमिक व द्वितीय सैल में अन्तर - 
(1)प्राथमिक सैल            
1.इन्हें पुनः आवेशित (चार्ज) नहीं किया जा सकता है।
2.ये वजन में हल्के होते हैं व कही भी आराम से ले जाए जा सकते हैं।
3 इनमें समय के साथ धारा की मात्रा भी कम हो जाती है।
4.इस सैल को उपयोग में लेने से पहले चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।
5.इनका जीवनकाल बहुत कम होता है।      
6.इनका e.m.f. होता है।
(2) द्वितीयक सैल (बैट्री)
1. इन्हें पुनः आवेशित (चार्ज) किया जा सकता है।
2.ये भारी होते है। इनको एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में परेशानी रहती है।
3.ये स्थिर वोल्टेज पर काफी समय तक धारा दे सकते है।
4.इन्हें उपयोग में लेने से पूर्व चार्ज करना पड़ता है।
5.इनका जीवनकाल लम्बा होता है।
6. इनका e.m.f.अधिक होता है।     

विद्युत अपघटन - 3

प्राथमिक सैल को पुनः आवेदित (चार्ज) नहीं किया जा सकता है जबकि द्वितीयक सैल को पुनः आवेशित (चार्ज) किया जा सकता है।
जब सैल को काम में लेते हैं तो समय के साथ वि.वा.ब. का मान घट जाती है, वह शून्य हो जाती है तथा इसे सैलों का धु्रवीकरण कहते है।
प्राथमिक सैल की विशेषताएं (Characterisics of Primary Cell)-
1. सैल का वि.वा.ब. अधिक व स्थिर होना चाहिए।
2. सैल का आन्तरिक प्रतिरोध कम होना चाहिए।
3. प्राथमिक सैल से जब किसी प्रकार की धारा नहीं ली जा रही हो तो उस स्थिति में सैल में कोई रासायनिक क्रिया नहीं होनी चाहिए।
4. सैलों में पोलेराइजेशन नहीं होना चाहिए।

विद्युत अपघटन - 2

संयोजकता किसी तत्व के अणुओं के दूसरे तत्व के अणुओं के साथ जुड़ने की क्षमता को प्रदर्शित करती है। इसकी मात्रा हाइड्रोजन अणुओं के उन अणुओं की संख्या के बराबर होती है जिनके साथ तत्व का परमाणु किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है।
फैराडे के प्रथम नियम के अनुसार जिस समय इलेक्ट्रोलाइट में धारा गुजारी गयी, के समानुपाती होते हैं।
वैज्ञानिक फैराडे के द्वितीय नियम के अनुसार, यदि एक समान धारा पृथक-पृथक् इलेक्ट्रो लाइट्स में से गुजारी जाए तो विमुक्त हुए आयनों की संहति उन पदार्थो के विद्युत रासायनिक तुल्यांक के भार के समानुपाती होती है। 

विद्युत अपघटन - 1


जब किसी अम्लीय एवं अकार्बनिक विलयन (Solution) में से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह अपने अवयवों (Components) में बंट जाता है, यह क्रिया विद्युत का रासायनिक प्रभाव कहलाती है।
चालक जिनमें धरा प्रवाहित करने की रासायनिक अपघटन हो जाता है उसे इलेक्ट्रोलाइट (विद्युत अपघट्य) कहा जाता है।
रासायनिक अपघटन में ऋणात्मक आयन (-) धनात्मक  या एनोड की ओर जाते हैं तथा धनात्मक आयन (+) ऋणात्मक इलेक्ट्रॉड की ओर जाते है, इस प्रकार इलेक्ट्रोलाइट में धारा का प्रवाह शुरू हो जाता है। ऋणात्मक इलेक्ट्रॉड कैथोड कहलाता है।
विद्युत धारा को इलेक्ट्रोलाइट में स्थापित करने पर इसके अणु दो भागों में विभक्त हो जाते हैं, इन्हें आयन कहते है। आयन विद्युत के आवेशित का हैं एवं ये कण् रासायनिक क्रिया में भाग लेते है।