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विद्युत - 3

किसी विद्युतीय परिपथ में इलेक्ट्रॉनों के बहाव में आने वाली बाधा प्रतिरोध कहलाती है।
विद्युत धारा के प्रभाव निम्न प्रकार है -
1. रासायनिक प्रभाव        2. चुम्बकीय प्रभाव                                 
3. तापीय प्रभाव              4. प्रकाशीय प्रभाव         
5. शारीरिक प्रभाव (प्राणियों पर)
6. विशेष प्रकार की किरणों का प्रभाव

एम्पियर धारा की इकाई है, इसे A अक्षर से लिखा जाता है। परिपथ के एक ओह्म प्रतिरोध को एक वोल्ट का विद्युत वाहक बल लगाने पर उस परिपथ में एक एम्पियर की धारा गुजरती है।
जब किसी परिपथ में एक वोल्ट के प्रभाव अधीन एक एम्पियर की धारा गुजरे तो उस परिपथ का प्रतिरोध एक ओह्म होगा। 

विद्युत - 2


चल वैद्युतिकी को निम्न प्रभावों द्वारा उत्पन्न किया जाता है -
(1) तापीय प्रभाव द्वारा
(2) चुम्बकीय प्रभाव द्वारा
(3) रासायनिक प्रभाव द्वारा
(4) प्रकाश के प्रभाव द्वारा
सभी पदार्थ अणु से मिलकर बने होते है। जिसमें पदार्थ का गुण होता है। प्रत्येक अणु को रासायनिक विधि से छोटे भागों में विभाजित किया जा सकता है, अणु के सूक्ष्मतम भाग को परमाणु कहते हैं।
परमाणु का केन्द्रीय भाग नाभिक कहलाता है। इसमें परमाणु के प्रोटॉन व न्यूट्रांन उपस्थित होते हैं।
प्रोटॉन में एक धन विद्युत आवेश होता है। यह इलेक्ट्रॉनों से लगभग 1840 गुना भारी होता है। यह नाभिक का स्थायी भाग होता है। प्रोटॉन विद्युत ऊर्जा के स्थानान्तरण में सक्रिय भाग नहीं लेते हैं।
इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर स्थित कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं इस पर ऋणात्मक आवेश होता है। प्रोटॉन की तुलना में इलेक्ट्रॉन तीन गुना बड़े व्यास का होता है। एक परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या इलेक्ट्रानों की संख्या के बराबर होती है।
इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दर को धारा कहते है। इसकी इकाई एम्पियर होती है। इसे एम्पियर-मीटर से मापा जाता है। एम्पियर मीटर सदैव श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
EMFका पूरा नाम इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स (emf) व हिन्दी में विद्युत वाहक बल होता है। यह वह बल है जो किसी भी विद्युत उत्पन्न करने वाले साधन में इलेक्ट्रॉनों का असन्तुलन पैदा करता है। बाहरी परिपथ में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह इसी बल से सम्भव होता है।

विद्युत - 1

पदार्थ उसे कहते है जो स्थान घेरता है, जिसका भार होता है, जिसमें द्रव्यमान होता है तथा जिसे हमारी ज्ञानेन्द्रियां अनुभव करती है। पदार्थ के मूल निर्माण में इलेक्ट्रॉन  व प्रोटॉन  होते हैं।
पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती है -ठोस, द्रव व गैस ।
विद्युत दो प्रकार की होती है –
(1) स्थिर वैद्युतिकी
(2) चल वैद्युतिकी
स्थिर वैद्युतिकी में स्थिर आवेशों का अध्ययन किया जाता है।
चल वैद्युतिकी में गतिशील आवेशों का अध्ययन किया जाता है।
कार्य करने की शक्ति को ऊर्जा कहते है। ऊर्जा को न तो नष्ट किया जा सकता है न ही उत्पन्न किया जा सकता है।