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त्रिकलीय प्रेरण मोटर - 3

  • प्रेरण मोटर में दो प्रकार की हानियां, अचल हानिया व चल हानियां होती है। अचल हानियों को दो भागों में आयरन या कोर हानियां तथा यांत्रिक हानियों में विभक्त किया जाता है। चल हानियां, स्टेटर व रोटर वाइन्डिंग में उत्पन्न ताप के कारण काॅपर हानि होती है।
     रोटर दक्षता=रोटर आउटपुट /रोटर इनपुट
  • पिंजरा प्ररूपी प्रेरण मोटर का प्रयोग जल पम्प, लेथ मशीन, ड्रिल मशीन, लाइन शाफ्ट, ट्यूब-वैल, ग्राइन्डर, वुड-वर्किंग प्लेनर, कम्प्रैशर, पंखे, लाॅन्ड्री-वयरिंग, मशीन आदि में किया जाता है।
  • स्लिप रिंग प्रेरण मोटर का प्रयोग भारी पम्प, लिफ्ट, शाफ्ट एग्जाॅस्ट पंखे, कम्प्रैशर, एलीवेटर, प्रिन्टिंग प्रेस आदि में किया जाता है।
  • प्रेरण मोटर को शून्य लोड से पूर्ण लोड पर लोडेड किया जाता है तो इसकी गति में वृद्धि होती है जिसकी फलस्वरूप स्लिप बढ़ती है। 

त्रिकलीय प्रेरण मोटर - 2

 

त्रिकलीय प्रेरण मोटर में स्लिप को निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है - % स्लिप=तुल्यकालिक गति (Ns)-रोटर गति (Nr)/तुल्यकालिक गति (Ns)*100
प्रेरण मोटर में उत्पन्न बलाघूर्ण निम्न कारकों पर निर्भर करता है -
  •  घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र का वह भाग जो रोटर के साथ क्रिया करता है।
  •  गतिशील अवस्था में रोटर धारा का परिमाण।
  •  गतिशील अवस्था में रोटर परिपथ का शक्ति गुणंक।
  • प्रेरण मोटर को प्रारम्भ करने के लिए स्टार्टर की आवश्यकता होती है।
  • प्रेरण मोटर को प्रारम्भ करने के लिए स्टार्टर की आवश्यकता होती है।
  • प्रेरण मोटर की गति ,N=Ns(1-s)
जहा Ns=तुल्यकालिक गति =120f /p
s =स्लिप
p =ध्रुवो की संख्या
अतः आवृति (f ), ध्रुओ की संख्या (P) तथा स्लिप (s ) को परिवर्तित करके ही प्रेरण मोटर की गति को नियंत्रित किया जा सकता है  

त्रिकलीय प्रेरण मोटर - 1

  • औद्योगिक अनुप्रयोगों में काम आने वाली वह मोटर जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करती है, प्रेरण मोटर कहलाती है।
  • त्रिकलीय प्रेरण मोटर पिंजरा प्ररूपी तथा स्लिप रिंग प्रकार की होती है।
  • त्रिकलीय ट्रांसफार्मर की भांति त्रिकलीय प्रेरण मोटर का कार्य सिद्धान्त भी विद्युत चुम्बकीय प्रेरण नियमों पर आधारित होता है।
  • प्रेरण मोटर के दो मुख्य भाग स्टेटर (स्थिर रहने वाला भाग) व रोटर (घूमने वाला भाग) होते हैं।
  • स्टेटर उच्च ग्रेड मिश्रित स्टील धातु का बना होता है जो आर्मेचर भाग में उत्पन्न भंवर धारा हानि को कम करता है।
  • त्रिकलीय प्रेरण मोटर में रोटर के प्रकार पिंजरा प्ररूपी रोटर व स्लिपरिंग रोटर होते है।
  • प्रेरण मोटर को अतुल्यकालिक मोटर भी कहते है, क्योंकि इसके रोटर का घूर्णन चुम्बकीय क्षेत्र की गति के समान नहीं होता है।
  • पिंजरा प्ररूपी प्रेरण मोटर का प्रारम्भिक बलाघूर्ण कम होता है लेकिन रनिंग बलाघूर्ण अधिक होता है।
  • फुल लोड पर स्लिपरिंग प्रेरण मोटर का प्रारम्भिक बलाघूर्ण, पिंजरा प्ररूपी प्रेरण मीटर की तुलना में तीन गुना होता है।