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एककलीय मोटर - 4


एककलीय मोटरों के अनुप्रयोग-
1.स्प्लिट फेज मोटर -इस प्रकार की मोटर को वाशिंग मशीन, बोटल धुलाई मशीन, आॅयल बर्नर, ब्लाॅअर, बफिंग मशीन, ग्राइण्डर, मशीन टुल्स आदि में प्रयोग किया जाता है।
2.कैपेसिटर स्टार्ट प्रेरण रन मोटर-इस प्रकार की मोटर को रेसिप्रोकेटिंग कम्प्रेशर, कन्वेयर, निर्वात पम्प सम्पीडक, रेफ्रीजरेटर, पंखे, ड्रिल मशीन आदि में प्रयोग किया जाता है।
3.कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन मोटर -इस प्रकार की मोटर का प्रयोग मुख्यतः कम्प्रेशर, छत के पंखो, ब्लाॅअर, एयर कंण्डीशनर, एलीवेटर आदि में प्रयोग किया जाता है।
4.शेडेड पोल मोटर -इस प्रकार की मोटर का प्रयोग छोटे पंखो, खिलौनों, उपकरणों, हेयर ड्रायर, विद्युत घड़ियों, विज्ञापन डिस्पले, रेडियो प्लेयर, ग्रामोफोन आदि में किया जाता है।
5.प्रतिकर्षण मोटर -इस प्रकार की मोटर का प्रयोग हाॅईस्ट, लिफ्ट आदि में किया जाता है।
6.स्टेपर मोटर -इस प्रकार की मोटर का प्रयोग कम्प्यूटर डिस्क ड्राईव, टाईपराइटर, टेलीप्रिन्टर, ग्राफिकल प्लोटर्स, औद्योगिक रोबोटों में, NC मिलिंग मशीन, CNC लैथ मशीन आदि में किया जाता है।
7.रिलक्टेन्स मोटर-इस प्रकार की मोटर का प्रयोग रिकॉर्डिंग  उपकरणों, टाइमिंग उपकरणों, सिग्नल डिवाइस, फोनोग्राफ, टर्न-टेबल आदि में किया जाता है।
8.हिस्टेरेसिस मोटर-इस प्रकार की मोटर का प्रयोग ध्वनि उपकरणों, विद्युत घड़ियों, सूचक यंत्रों को चलाने ,गियर प्रणाली आदि में किया जाता है।
9.यूनिवर्सल मोटर-इस प्रकार की मोटरों का प्रयोग घरेलू उपकरणों जैसे - सिलाई मशीन, हेयर ड्रायर, टेबल पंखा, जूसर, मिक्सी, प्रोटेक्टर, वेक्यूम क्लीनर आदि में किया जाता है। 

एककलीय मोटर - 3

  • शेडिंग पोल विधि में पोलों के सिरों पर रिंग लगाकर फेज को विभाजित करके प्रारम्भिक बलाघूर्ण उत्पन्न किया जाता है।
  • प्रतिकर्षण मोटर में घूमने की दिशा, कार्बन ब्रुशों की स्थिति को बदलकर परिवर्तित की जाती है।
  • स्टेपर मोटर, कन्ट्रोलर द्वारा प्राप्त इनपुट धारा की प्रतिक्रिया में एक नियत कोणीय स्टेप द्वारा रोटेट होती है।
  • एककलीय तुल्यकालिक मोटर नियत गति पर चलती है तथा यह स्व-चालित मोटर होती है।
  • रिलक्टेन्स मोटर में स्प्लिट फेज स्टेटर तथा एक सेन्ट्रीफ्यूगल स्विच होता है जो कि सहायक वाइन्डिंग को परिपथ से हटा देता है।
  • हिस्टेरेसिस मोटर को सतत् रोटेटिंग चुम्बकीय फ्लक्स के द्वारा प्रचालित किया जाता है।
  • वे मोटरें जो एककलीय प्रत्यावर्ती धारा द्वारा दिष्ट धारा दोनों पर लगभग समान गति से कार्य कर सके, यूनिवर्सल मोटरें कहलाती है। 

एककलीय मोटर - 2


  • एककलीय प्रेरण मोटर स्वचालित नहीं होती है। इसे स्वचालित बनाने के लिए निम्न विधियों का प्रयोग किया जता है -
  1.    पोलों के शेडिंग द्वारा
  2.   फेजों को स्प्लिट करके
  • रोटर को प्रारम्भिक बलाघूर्ण प्रदान करने पर उसमें किस तरह निरन्तर बलाघूर्ण उत्पन्न होता है, इस तथ्य को निम्न सिद्धान्तों की सहायता से समझा जा सकता है-  
  1. द्विघूर्णन क्षेत्र सिद्धान्त
  2. क्राॅस क्षेत्र सिद्धान्त
  • फेज स्प्लिटिंग विधि में एक फेज को स्प्लिट करके दो फेज बनाएं जाते हैं। इसके लिए स्टेटर पर एक वाइन्डिंग के अतिरिक्त दूसरी वाइन्डिंग भी स्थापित की जाती है, जिसे स्टार्टिंग वाइन्डिंग कहते है। इन दो वाइन्डिंगो को समानान्तर लगाने पर एक फेज के दो फेज बन जाते हैं और मोटर में रोटेटिंग फील्ड उत्पन्न होने लगता है। फलस्वरूप मोटर स्टार्ट हो जाती है। इस सिद्धान्त पर आधारित मोटरें निम्न प्रकार है-
  1. स्प्लिट फेज मोटर
  2. कैपेसिटर स्टार्ट प्रेरण मोटर
  3. कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन मोटर

एककलीय मोटर - 1

  • एककलीय मोटरें छोटे आकार की मोटरें होती है, जिनकी रेटिंग फ्रेक्शन किलोवाट में होती है।
  • एककलीय प्रेरण मोटर की संरचना त्रिकलीय प्रेरण मोटर के समान होती है। एककलीय प्रेरण मोटर के स्टेटर में केवल एक वाइन्डिंग होती है।
  • एककलीय मोटरें मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है -
एककलीय मोटर
1 - एककलीय प्रेरण मोटर
  •  स्पिट फेज प्रेरण मोटर
  •  कैपेसिटर स्टार्ट प्रेरण मोटर
  •  कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन मोटर
  •  रिपलशन मोटर
  •  शेडेड पोल मोटर
2 - एककलीय तुल्यकालिक मोटर
  • रिलक्टेन्स मोटर
  • हिस्टेरेसिस मोटर
3- एककलीय श्रेणी या यूनिवर्सल मोटर