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चुम्बकत्व - 4

नियम और उपयोग (Law and Use) -
क्र.स.     नियम/सिद्धान्त(Law/Princpal) उपयोग (Uses)         
एम्पियर का नियम           ओवर हैड लाईन में धारा की दिशा ज्ञात करने में।
कॉर्क  स्क्रू नियम               चालक के आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने में।
दाएं हाथ के अंगूठे का नियम           चालक के आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने में।
एण्ड नियम                     विद्युत चुम्बक के धु्रव ज्ञात करने हेतु।
फ्लेमिंग के दाएं हाथ का नियम       जनरेटर में उत्पन्न e.m.f. दिशा ज्ञात करने हेतु।
लेन्ज का नियम               चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती डिस्क आदि में भंवर धारा (एडी करेन्ट) आदि की दिशा ज्ञात करने के लिए।

चुम्बकत्व - 3

पदार्थो को चुम्बकीय आधार पर तीन भागों में बांटा गया है-
(1) लौह चुम्बकीय पदार्थ (ferro Magnetic Material)
(2) अनु चुम्बकीय पदार्थ ( Pera Magnetic Material)
(3) अचुम्बकीय पदार्थ (Dia Magnetic Material)
यदि किसी इन्सुलेटेड सुपर इनेमल तार से बने क्वॉयल को फिर क्वॉयल की तरह मोड़ा जाए तो उसे टोरॉइड कहते है।
इन्सुलेटिड तार को गोल आकार में बहु से टर्न दे दिए जाएं तो ये सोलेनाॅयड कहलाता हैं। यह भी क्वॉयल का रूप होता है। इसकी लम्बाई इसके व्यास से अधिक होती है।
दाएं हाथ के नियम से चालक में उत्पन्न e.m.f. की दिशा ज्ञात की जाती है। यदि दाएं हाथ का अंगूठा, तर्जनी अंगुली, मध्य अंगुली या तीनों एक-दुसरे से 900 पर हो व अंगूठा चालक के घूमने की दिशा में, तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो तो दाहिने हाथ के मध्य की अंगुली उत्पन्न इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स (e.m.f.)  या विद्युत वाहक बल की दिशा दर्शाएगी। 

चुम्बकत्व - 2

पदार्थ में चुम्बकीय गुण बनाने की या चुम्बकित करने की मुख्य विधियां निम्न प्रकार से हैं -
(1) स्पर्श विधि                 (2) विद्युत धारा विधि                   (3) प्रेरण विधि
चुम्बकीय क्षेत्र में विद्यमान चुम्बकीय बल रेखाओं के निम्न महत्वपूर्ण गुण होते हैं-
1. सभी चुम्बकीय बल रेखाएं अपना परिपथ पूर्ण करती है।
2. चुम्बकीय बल रेखाएं चुम्बक के अन्दर दक्षिण से ध्रुव उत्तर ध्रुव की ओर व बाहर उत्तर से दक्षिण की ओर चलती है।
स्थायी एवं विद्युत चुम्बक में तुलना
क्र.स.     स्थायी चुम्बक      विद्युत चुम्बक
1.इसकी चुम्बकता का मान स्थिर रहता है।             इसकी चुम्बकता घटाई व बढ़ाई जा सकती है।
2.इसकी प्रबलता स्थिर है।                                     इसकी प्रबलता, धारा पर निर्भर रहती है।
3.इसका उपयोग दिशा सूचक में होता है।                 इसका उपयोग दिशा सूचक में नहीं होत है।
4.इसके द्वारा अधिक भार नहीं उठाया जा सकता है।   इसके द्वारा अधिक भार उठाया जा सकता है।
5.ये छोटी मोटरों में काम आते हैं।                           ये जनरेटर, मोटर, ट्रांसफाॅर्मर सभी बड़ी मशीनों में काम आते हैं।
6.इनके धु्रव नहीं बदले जा सकते।                         इनके धु्रव बदले जा सकते है।
7.इनका मूल्य कम होता है।                                  इनका मूल्य अधिक होता है।  

चुम्बकत्व - 1


चुम्बक के चारों वह क्षेत्र जिससे पदार्थ बल का अनुभव करता है उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं तथा चुम्बक के इस गुण को चुम्बकत्व कहा जात है।
चुम्बक मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-
(1) प्राकृतिक चुम्बक                     (2) कृत्रिम चुम्बक
विभिन्न प्रकार के कृत्रिम चुम्बक निम्न प्रकार है-
(1) छड़ चुम्बक (Bar Magebt) - यह आयताकार होता है इसके किनारों पर सर्वाधिक चुम्बकीय गुण होते हैं।
(2) घोड़ा नाल चुम्बक (Cylindrical Magent) - इसे आयताकार लोहे की छड़ को मोड़कर घोड़े के नाल की आकृति दी जाती है और इसके किनारों पर चुम्बकत्व रहता है।
(3) बेलनाकार चुम्बक (Cylindrical Magent) - इसे बेलनाकार छड़ द्वारा बनाया जाता है।
(4) अंगूठी चुम्बक (Ring Magent) - इसमें लोहे के द्वारा अंगूठी बनाई जाती है फिर उसमें चुम्बकीय गुण उत्पन्न किए जाते हैं।