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सोल्डरिंग एवं ब्रेजिंग - 3

सोल्डरिंग एवं ब्रेजिंग में अन्तर -
सोल्डरिंग (Soldring)
इसका जोड़ कमजोर होता है।        
इसका गलनांक कम होता है।         
इसमें लैड और टिन का अलॉय प्रयोग होता है।
इसका जोड़ झटके या कम्पन सहन नहीं कर सकता।   
इसके द्वारा हल्के जोड़ (हल्की वस्तुओं को) लगाये जाते है जैसे-बिजली के तार, टीवी, टेप रिकॉर्डर, पतली चद्दरे आदि।
इसके जोड़ को गर्म करके आसानी से अलग कर सकते हैं।
इसमें धातुओं के अनुसार अलग-अलग फ्लक्स प्रयोग किया जाता है।
ब्रेजिंग में(Brazing)
इसका जोड़ मजबू होता है।
इसका गलनांक अधिक होता है।
इसमें तांबे-जस्ते, तांबे-चांदी तथ चांदी-जस्ते का अलॉय प्रयोग होता है।
इसका जोड़ कम्पन व झका सहन कर लेता है।
इसके द्वारा जॉब या पार्ट जोड़े जाते हैं।
इसके जोड़ को गर्म करके आसानी से अलग नहीं कर सकते।
इसमें कवेल एक ही फ्लक्स सुहागा (Borax) का प्रयोग किया जाता है। 

सोल्डरिंग एवं ब्रेजिंग - 2

सोल्डरिंग प्रोसेस निम्नलिखित विधि के अनुसार पूरी की जाती है -
1. कार्य सतह को तैयार करना (Preparation of the Work Surfaces)
2. सोल्डरिंग आयरन को गम करना। (Heating the Soldering Iron)
3. टिनिंग (Tinning)
4. टेकिंग (Taking)
5. फ्लोटिंग (Floating)
फ्लक्स पाउडर (Powder), पेस्ट (Paste तथा द्रव के रूप में मिलता है। फ्लक्स का कार्य जोड़ी जाने वाली सतह को ऑक्सीडेशन (Oxidation) से बचाने तथा सोल्डर को पिघलाने के लिए होता है।
फ्लक्स दो प्रकार के होते है-
(1) कोरोसिव फ्लक्स (Corrosive Flux )  
(2) नाॅन-कोरोसिव फ्लक्स (Non-Corrosive Flux )
सोल्डरिंग करने के लिए जिस टूल का प्रयोग किया जाता है उसे सोल्डरिंग आयरन (Soldering Iron) कहते हैं।
दो एक जैसी या भिन्न-भिन्न धातुओं पर कठोर जोड़ लगाने की विधि को ब्रेजिंग (Brazing) कहते हैं। ब्रेजिंग के लिए सोल्डरिंग आयरन की आवश्यकता नहीं होती है।
तांबा और जस्ता मिलाकर स्पेल्टर तैयार किया जाता है। ब्रेजिंग के लिए प्रयुक्त सोल्डर को हार्ड सोल्डर या स्पेल्टर कहते हैं।
ब्रेजिंग में सभी धातुओं के लिए फ्लक्स के रूप में सुहागा प्रयोग किया जाता है। इसे पानी में घोलकर प्रयोग किया जाता है।

सोल्डरिंग एवं ब्रेजिंग - 1

सोल्डरिंग एक विधि है जो धातु के दो या अधिक पार्टो को आपस में जोड़ने के लिए की जाती है। इस विधि में जोड़ने के लिए प्रयोग होने वाला माध्यम सोल्डर (Solder) कहलाता है।
सोल्डरिंग के लिए सोल्डर, फ्लक्स, ब्लोलैम्प, फाइल, सैड पेपर, पानी का बर्तन तथा सोल्डरिंग आयरन की आवश्यकता होती है।
सोल्डर दो प्रकार का होता है -
(1) सॉफ्ट  सोल्डर                        (2) हार्ड सोल्डर
सॉफ्ट सोल्डर और हार्ड सोल्डर में अन्तर
सॉफ्ट सोल्डर (Soft Solder)
यह कच्चा टांका होता है।    
यह लैड और टिन की मिश्र धातु है।
इसका जोड़ बहुत कम तापमान पर पिघलाकर लगाया जाता है।           
यह सोल्डरिंग आयरन द्वारा लगाया जाता है।            
यह टांका हल्की वस्तुओं जैसे बिजली के तार आदि को जोड़ने के लिए काम में आता है।
हार्ड सोल्डर (Hard Solder )
यह पक्का टांका होता है।
यह कॉपर और जिंक मिश्रित धातु है।
यह अपेक्षाकृत उच्च तापमान पर पिघलता है।
यह भट्टी में गर्म करके या वैल्डिंग द्वारा लगाया जाता है।
यह टांका भारी वस्तुओं को जोड़ने के काम में आता है।
इस जोड़ में सुहागे को फ्लक्स के रूप में काम में लेते है।