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प्रतिरोध - 3

डी.सी. व ए.सी. परिपथों में वोल्टेज मापने के लिए यह यन्त्र प्रयुक्त होता है। वे मूविंग क्वॉयल व मूविंग आयरन दो प्रकार के होते है। ।AC  व DC दोनों एम.आई. टाइप यंत्र से मापते हैं।
वाट मीटर से परिपथ की शक्ति मापते हैं इसमें चार टर्मिनल M.I, C व V  होते हैं।
ऊर्जा मीटर से ऊर्जा मापते हैं। ये सिंगल फेज व तीन फेज के आते है। घरों में सिंगल फेज ऊर्जा मीटर प्रयोग में आते हैं।
भारत की ए.सी. सप्लाई फ्रिक्वेन्सी 50 चक्र प्रति सैकण्ड है। फ्रिक्वेन्सी को हर्ट्ज में मापते है। इसे मीटर  से चिन्हित करते है। इस मीटर को सप्लाई के समानान्तर में लगाया जाता है।
एम्पियर मीट की रेंज बढ़ाने हेतु क्वॉयल के समानान्तर में एक कम मात्रा का प्रतिरोध जोड़ा जाता है। इस प्रतिरोध को शन्ट नाम से जाना जाता है।
वोल्टमीटर की रंज इसके क्वॉयल श्रेणी में आवश्यक मात्रा का प्रतिरोध लगाकर बढ़ायी जा सकती है। 

प्रतिरोध - 2

प्रतिरोधों का संयोजन तीन प्रकार से होता है -
1. श्रेणी संयोजन
2. समानान्तर संयोजन
3. श्रेणी-समानान्तर संयोजन
श्रेणी परिपथ में प्रत्येक शाखा के विभिन्न प्रतिरोधों का योग परिपथ का कुल प्रतिरोध कहलाता है।
समानान्तर परिपथ में कुल चालकता उस परिपथ की चालकता के विपरीत अनुपात में होती है।
किसी पूर्ण विद्युत परिपथ में गुजरने वाली धारा वोल्टता के समानुपाती तथा परिपथ के प्रतिरोध के विलोमानुपाती होती है।
एम्पियर मीटर धारा मापने का यंत्र होता है। वे मूविंग क्वॉयल  मूविंग आयरन दो प्रकार के होते हैं। 

प्रतिरोध - 1

किसी चालक के धारा प्रवाह में उत्पन्न विरोधी बल को प्रतिरोध कहते है। जिसे R द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
प्रतिरोध का गुण दर्शाने वाले अवयव को प्रतिरोधक कहा जाता है।
प्रतिरोधकों की किस्में Types of Resistors)
प्रतिरोधक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है -
(1) कार्बन प्रतिरोधक
(2) वायर वाउण्ड प्रतिरोधक
कार्बन प्रतिरोधक कार्बन अथवा ग्रेफाइट के महीन चूर्ण को किसी उपयुक्त अचालक व बन्धक पदार्थ के साथ मिलकर तैयार किए जाते हैं।
वायर वाउण्ड प्रतिरोधक यूरेका अथव मैंगनिन नाम मिश्र धातु के महीन व नंगे तार को चीनी मिट्टी, सैरामिक या बैकेलाइट से बने पाइप/शीट पर लपेटकर तैयार किए जाते हैं।
प्रतिरोध के नियम के अनुसार -
1. चालक के प्रतिरोध की वृद्धि उसके लम्बाई के समानुपाती होती है।
2. चालक का प्रतिरोध उसके अनुपस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है।
3. चालक का प्रतिरोध पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
4. चालक का प्रतिरोध उसके तापमान पर भी निर्भर करता है।
किसी पदार्थ के इकाई घन के आमने-सामने वाले तलों के मध्य के प्रतिरोध को उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं।