सोल्डरिंग एवं ब्रेजिंग - 2

सोल्डरिंग प्रोसेस निम्नलिखित विधि के अनुसार पूरी की जाती है -
1. कार्य सतह को तैयार करना (Preparation of the Work Surfaces)
2. सोल्डरिंग आयरन को गम करना। (Heating the Soldering Iron)
3. टिनिंग (Tinning)
4. टेकिंग (Taking)
5. फ्लोटिंग (Floating)
फ्लक्स पाउडर (Powder), पेस्ट (Paste तथा द्रव के रूप में मिलता है। फ्लक्स का कार्य जोड़ी जाने वाली सतह को ऑक्सीडेशन (Oxidation) से बचाने तथा सोल्डर को पिघलाने के लिए होता है।
फ्लक्स दो प्रकार के होते है-
(1) कोरोसिव फ्लक्स (Corrosive Flux )  
(2) नाॅन-कोरोसिव फ्लक्स (Non-Corrosive Flux )
सोल्डरिंग करने के लिए जिस टूल का प्रयोग किया जाता है उसे सोल्डरिंग आयरन (Soldering Iron) कहते हैं।
दो एक जैसी या भिन्न-भिन्न धातुओं पर कठोर जोड़ लगाने की विधि को ब्रेजिंग (Brazing) कहते हैं। ब्रेजिंग के लिए सोल्डरिंग आयरन की आवश्यकता नहीं होती है।
तांबा और जस्ता मिलाकर स्पेल्टर तैयार किया जाता है। ब्रेजिंग के लिए प्रयुक्त सोल्डर को हार्ड सोल्डर या स्पेल्टर कहते हैं।
ब्रेजिंग में सभी धातुओं के लिए फ्लक्स के रूप में सुहागा प्रयोग किया जाता है। इसे पानी में घोलकर प्रयोग किया जाता है।