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प्रदीपन - 4

  • लैम्बर्ट्स कोज्या नियम (Lamberts cosine Law) - किसी प्रकाश स्त्रोत के द्वारा किसी प्रकाशित तल पर पहुंचने वाली प्रदीप्ति, स्त्रोत से आने वाली प्रकाश किरण तथा अभिलम्ब (normal) के बीच बने कोण की कोज्या (cosine) के अनुक्रमानुपाती होती है।
  • विभिन्न प्रकार के लैम्पों की विशेषताएं एवं अनुप्रयोग –
  1. उद्दीप्त (incandescent) लैम्प-परास -8-18, सामन्य परास-14,   रंग-श्रेष्ठ (excellent),अनुप्रयोग-घरों में, रेस्टोरेन्ट में, सामान्य लाइटिंग में, इमरजेंसी लाइटिंग,जीवन काल -1000 hrs
      2.फ्लोरेसेन्ट लैम्प- परास -46-60, सामन्य परास -50 ,रंग-उत्तम कोटिंग सहित (good w.r.t. coating), अनुप्रयोग-ऑफिस             , दुकान, हॉस्पिटल व  घरों में, जीवन काल -5000 hrs.
      3.कॉस्पेक्ट फ्लोरेसेन्ट लैम्प (CFL), परास -40-70, सामन्य परास-60,रंग -बहुत उत्तम (verygood )                
      4.हाई प्रेशर मरक्यूरी वेपर लैम्प-    परास -44-57, सामन्य परास-50, रंग-सामान्य (fair)                    
      5.हाई प्रेशर सोडियम वेपर लैम्प-परास -67-121; सामन्य परास-90,   रंग-सामान्य (fair)         
      6.लो प्रेशर सोडियम वेपर लैम्प-परास 101-175, सामन्य परास-150,रंग0-सामान्य से कम (poor)          

प्रदीपन - 3

  • अंतरिक्ष में क्षेत्रफल द्वारा एक बिन्दु पर बनाए गए कोण को घन कोण (या ठोस कोण) कहते हैं।
  • अवशोषित प्रकाश तथा आपतित प्रकाश के अनुपात को अवशोषण गुणक कहा जाता है।
·         अवशोषण गुणक = अवशोषित प्रकाश/आपतित प्रकाश
  • कार्य स्थानों पर प्राप्त ल्यूमेन और लैम्प द्वारा उत्पन्न ल्यूमेन का अनुपात ही उपयोगिता गुणक कहलाता है।
·         उपयोगिता गुणक = स्थान तक पहुंचने वाला ल्यूमेन/स्त्रोत से उत्पन्न कुल ल्यूमेन
  • स्त्रोत द्वारा उत्सर्जित कुल ल्यूमेन फ्लक्स तथा स्त्रोत की निवेशी (input) विद्युत शक्ति के अनुपात को ही लैम्प दक्षता कहा जाता है। इसकी इकाई lumen/Watt  होती है।
  • प्रदीपन के दो नियम प्रतिपादित हुए हैं, जो कि निम्न है -
  1. प्रतिलोम वर्ग नियम (Inverse square law)     
  2. लैम्बर्टस कौज्या नियम  (Lamberts cosine Law)
  • प्रतिलोम वर्ग नियम (Inverse Square Law) – किसी  प्रकाश स्त्रोत द्वारा किसी प्रकाशित तल पर पहुंचने वाली प्रदीप्ति, उस तल से प्रकाश स्त्रोत की दूरी के वर्ग के व्युतक्रमानुपाती तथा प्रदीप्ति तीव्रता के  अनुक्रमानुपाती होती है ।

प्रदीपन - 2


  • कैण्डला ज्योति तीव्रता की इकाई है जो SI पद्धति में है। इसे cd से व्यक्त करते है और इसके चारों ओर फ्लक्स 4p x 1 = 4p ल्यूमेन प्राप्त होता है।
  • यदि किसी खोखले गोले का व्यास एक मीटर हो और अर्द्धव्यास के गोले के अंदर प्रदीप्त है और केन्द्र पर एक कैण्डल शक्ति का प्रकाश डाल दिया जाए तो प्रदीप्त एक मीटर कैण्डला होगी। यह प्रदीप्त की इकाई है और यह ल्यूमेन प्रतिवर्ग मीटर के तुल्य है।
  • वह घटना जो किसी सतह पर प्रकाश पड़ने पर उत्पन्न होती है, प्रदीपन कहलाती है। इसे इकाई क्षेत्रफल पृष्ठ पर पड़ने वाले ल्यूमेन ;(Lumens) की संख्या से परिभाषित किया जा सकता है जिसे E से प्रदर्शित करते है। इसे ल्यूमेन प्रति मीटर2 या लक्स ;(lux) या मीटर कैण्डला में मापा जाता है।
  • यदि किसी एक मीटर व्यास वाले गोले के केन्द्र पर एक कैण्डल शक्ति का प्रकाश डाला जाए तो उसके अंदर उत्पन्न प्रदीपन को मीटर कैण्डल शक्ति कहते हैं।
  • दो सरल रेखाओं को एक ही तल में एक ही बिन्दु पर मिलाने पर उनके मध्य बने कोण (angle ) को समतल कोण कहा जाता है। इसकी इकाई रेडियन (radin) होती है। 

प्रदीपन - 1



  • प्रदीपन एक प्रकाश विकिरण ऊर्जा का ही रूप है। प्रदीपन लाइटिंग स्त्रोत द्वारा किए जाने वाले प्रकाश की मात्रा है।
  • प्रकाश स्त्रोत द्वारा किसी दी हुई निश्चित दिशा में प्रति इकाई घन कोण उत्सर्जित ल्यूमेन की संख्या को उसकी कैण्डल शक्ति कहते है।
  • प्रकाश स्त्रोत द्वारा किसी दी हुई दिशा में प्रति इकाई धन कोण के विकिरित ज्योतीय फ्लक्स को उसकी ज्योतीय तीव्रता कहते हैं।
  • किसी ज्योतीय पिण्ड से प्रति सैकण्ड प्रकाश तरंगों के रूप में विकिरित (raditated) ऊर्जा को ज्योतीय फ्लक्स कहते है। इसे F या ф से व्यक्त किया जाता है। इसकी इकाई lumen है।
  • ल्यूमेन, ज्योतीय फ्लक्स की SI इकाई है और इसे ज्योतीय फ्लक्स के तुल्य माना गया है जो कि एक कैण्डल शक्ति के स्त्रोत द्वारा इकाई घन कोण (Solid angle ) में सभी दिशाओं में प्रदान किया जाता है। 

वोल्टेज स्टेबलाइजर - 3

शॉर्ट ब्रेक UPS में 4 से 5 समयान्तराल के बाद लोड को सप्लाई मिलती है। इस तंत्र में मुख्य ए.सी. सप्लाई, डी.सी. में बदली जाती है।
1. ऑफ  लाइन यूपीएस (Off  Line UPS) - स्थैतिक तथा घूर्णी प्रकार की तरह ही इसे ऑफ लाइन या ऑन लाइन यूपीएस में बांटा जाता है।
2. ऑन लाइन यूपीएस (On Line UPS) – ऑन लाइन यूपीएस, ऑफ  लाइन यूपीएस की तुलना में महंगे होते है। इस डिजाइन में बैट्री इन्वर्टर द्वारा चार्ज होती है।
ऑटोकट वोल्टेज स्टेबलाइजर प्रकार की पावर सप्लाई प्रायः 160 वोल्ट से 250 वोल्ट परिवर्ती ए.सी. से 230 वोल्ट स्थिर ए.सी. तैयार करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें मुख्यतः लो-वोल्टेज मेन्स ट्रांसफार्मर, जीन नियंत्रित रिले परिपथ आदि होते हैं।
बैट्री चार्जर एक विद्युत युक्ति है जिसका उपयोग बैट्री में ऊर्जा देने के लिए किया जाता है। बैट्री चार्जर पावर लाइन से प्राप्त ए.सी. को चार्जर के लिए उपयुक्त डी.सी. में परिवर्तित कर देता है।
बैट्री चार्जर में एक Circuitry भी होती है जो बैट्री के वोल्टेज को मोनीटर करती है और स्वतः ही चार्जिंग धारा को समंजित कर देती है। जब बैट्री पूर्णतया चार्ज हो जाती है। 

वोल्टेज स्टेबलाइजर - 2

परिपथ बनावट के आधार पर SMPS को निम्न दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है-
(1) नॉन -आइसोलेटेड (Non-isolated) (2) आइसोलेटेड ;(Isolated)
6v/12v बैट्री इनपुट 230 वोल्ट ए.सी. आउटपुट को तैयार करने वाली पावर सप्लाई, अंतवर्तक (Inverter) कहलाती है। इनमें निम्न आवृत्ति ऑसिलेटर, एम्पलीफायर आदि होते हैं।
यू.पी.एस. एक ऐसी युक्ति होती है जो विद्युत से चलने वाले किसी उपकरण को उस स्थिति में भी सीमित समय के लिए विद्युत की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करती है जब आपूर्ति के मुख्य स्त्रोत से विद्युत आपूर्ति उपलब्ध नहीं होती।
वे अंतवर्तक, जिनमें कम्यूटेटिंग अवयव स्थायी रूप से भार के साथ्ज्ञ श्रेणी क्रम में जुड़े हो, श्रेणी अंतवर्तक कहलाते है। श्रेणी परिपथ के व्यवहार के कारण धारा का मान शून्य हो जाता है।
अंतवर्तक परिपथ विभिन्न शक्ति स्त्रोत जैसे - बैट्री, सौर पैनल इत्यादि से दिष्ट धारा लेकर उसे प्रत्यावर्ती धारा में बदलता है अर्थात् यह उन सभी उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण है जो प्रत्यावर्ती धारा हेतु डिजाइन है तथा जो वांछित विभव के लिए दिष्टकारी द्वारा दिष्ट धारा बनाते हैं।

वोल्टेज स्टेबलाइजर - 1


वैद्युतिक एवं इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों/उपकरणो को स्थिर मान के वोल्टेज से प्रचलित करना आवश्यक होता है। जिसके लिए एक ऐसे उपकरण की आवश्यकता होती है जो मेन्स वोल्टेज में होने वाले परिवर्तनों को सहतें हुए स्थिर वोल्टेज मान का आउटपुट प्रदान कर सके; ऐसा उपकरण, स्टेबलाइज्ड पावर सप्लायर या वोल्टेज स्टेबलाइजर कहलाता है।
वोल्टेज स्टेबलाइजर दो प्रकार के होते है -
(1) हस्तचालित वोल्टेज स्टेबलाइजर  
(2) स्वचालित वोल्टेज स्टेबलाइजर
इन्वर्टर (Inverter) एवं यू.पी.एस. (UPS), स्वचालित वोल्टेज स्टेबलाइजर है।
स्विच मोड पावर सप्लाई भी आई.सी. आधारित पावर सप्लाई है जो प्रायः 6v डी.सी. इनपुट से 12v से 48v के बीच डी.सी. आउटपुट प्रदान कर सकती है। इसका उपयोग इलेक्ट्रोनिक उपकरणों (12v.48V) को 6v स्त्रोत से प्रचलित करने के लिए किया जाता है।