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प्रत्यावर्तक - 2


  • प्रत्यावर्तक का विद्युत वाहक बल समीकरण
                                Eph= 4.44kdfỤфTph Volt 
यहां kd = पिच गुणक
            kd = वितरक गुणक
            f = विद्युत वाहक बल की आवृत्ति
           ф  =  फ्लक्स प्रति पोल  
Tph= टर्नो की संख्या प्रतिफेज
  • दो या दो से अधिक प्रत्यावर्तकों को समानान्तरण क्रम में जोड़ने का सिन्क्रोनाइजिंग कहते है, प्रत्यावर्तकों को सिन्क्रोनाइज करने की दो विधियां है -
  1. लैम्प विधि
  2. सिन्क्रोस्कोप विधि
  • प्रतयावर्तकों के समानान्तरण प्रचालन की शर्ते -
  1. प्रत्यावर्तक का टर्मिनल वोल्टेज, बस-बार वोल्टेज के समान होना चाहिए।
  2. प्रत्यावर्तक की आवृत्ति, बस-बार आवृत्ति व इनकमिंग प्रत्यावर्तक की आवृत्ति के समान होती है।
  3. प्रत्यावर्तक वोल्टेज का फेज, बस-बार वोल्टेज के फेज के समान होना चाहिए।  

प्रत्यावर्तक - 1


  • वह मशीन जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है तथा ए.सी. वि.वा. बल उत्पन्न करती है, प्रतयावर्तक या तुल्यकालिक जनरेटर कहलाता है। इसकी रेटिंग kVA में होती है।
  • प्रत्यावर्तक, फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित होता है, इसके अनुसार जब किसी चालक एवं चुम्बकीय क्षेत्र के बीच सापेक्ष गति के कारण चुम्बकीय बल रेखाएं कटना शुरू होती है तो चालक में वि.वा. बल उत्पन्न हो जाता है।
  • प्रत्यावर्तक में प्रयुक्त स्टेटर एक सिलिकन स्टील की बनी हुई वलयाकार खांचेदार कोर होती है।
  • प्रत्यावर्तक में प्रयुक्त रोटर दो प्रकार के होते है -
  1. समुन्नत धु्रव प्रारूपी रोटर
  2. बेलनाकार धु्रव प्रारूपी रोटर
  • कम गति वाले प्रत्यावर्तकों में समुन्नत ध्रुव प्रारूपी रोटर तथा  ज्यादा गति वाले प्रत्यावर्तकों में बेलनाकार ध्रुव प्रारूपी रोटर का प्रयोग किया जाता है।
  • प्रतयावर्तक में स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र बनाने के लिए उत्तेजक का प्रयोग किया जाता है। 

विद्युतीय पदार्थ एवं केबल - 2

अर्द्धचालक वे पदार्थ हैं जिनकी प्रतिरोधकता चालक एवं कुचालक के मध्य होती है। यह (एलॉय) मिश्र धातु होते हैं।
वे पदार्थ जो अपने अन्दर से इलेक्ट्रॉन का बहाव नहीं होने देते है विद्युत के अच्छे कुचालक कहलाते हैं।
एक अच्छे कुचालक का विशिष्ट प्रतिरोध 1012 ओह्म सेन्टीमीटर से अधिक होना चाहिए।
कोई भी चालक जो पूरी लम्बाई में समान व्यास वाली हो तथा काट क्षेत्रफल गोल हो उसे तार कहते है।
ताम्बे से बने तार दो प्रकार के होते हैं -
(1) कठोर ताम्बा (हाई ड्रोन  ताम्बा)
(2) नरम ताम्बा (एनील्ड ताम्बा)
पी.वी.सी. का पूरा नाम पॉली विनाइल क्लोराइड है। ये तारे वायरिंग में प्रमुखता से वर्तमान में काम आ रही है।
जब तार (चालक) पर एक जैसी मोटाई का कुचालक पदार्थ चढ़ा दिया जाता है तो नंगे तार के अलावा शेष तार केबल कहलाते है।
एक इन्सुलेशन के अन्तर्गत आने वाले कुल चालक व जितने पृथक-पृथक इन्सुलेशन होंगे उतनी ही कोर की केबल कहलाएगी। एक जैसे व्यास व लम्बाई में चालक पर तार एवं तार पर इन्सुलेशन चढ़ा हो तो उसे केबल कहते है।
स्टेण्डर्ड वायर गेज का प्रयोग तार और शीट की मोटाई मापने के लिए किया जाता है। इसकी पूरी परिधि पर अलग-अलग साइज के स्लॉट कटे होते है।
पिगटैल/रैट टैल/ऐंठे जोड़ उन स्थितियों में उपयुक्त होता है जहां पर चालकों पर कोई यांत्रिक प्रतिबल नहीं होता है। 

विद्युतीय पदार्थ एवं केबल - 1


विद्युत इन्जीनियरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने वाले पदार्थो को विद्युत पदार्थ कहते हैं। इस प्रकार के पदार्थ प्रायः विद्युत चालन अथवा विद्युत रोधन के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
चालक पदार्थो में चालन बैण्ड तथा संयोजी बैण्ड एक-दूसरे को अध्यारोपित कर लेते हैं जिससे इनमें कोई वर्जित ऊर्जा अन्तराल नहीं होता है। इसके कारण इलेक्ट्रॉन आसानी से संयोजकता बैण्ड में से चालन बैण्ड में जा सकते है।
वे पदार्थ जो अपने अन्दर से इलेक्ट्रॉन का प्रवाह सुगमता से होने देते है या ऐसे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉनों के बहने में बाधा नहीं डालते, विद्युत के अच्छे चालक कहलाते हैं।
विद्युत का सबसे  उत्तम  चालक सोना है। इसकी चालकता 99 प्रतिशत होती है। यह कीमती धातु होने के कारण प्रयोग में नहीं लिया जाता है।
ताम्बा (Copper)
(1) चांदी के बाद यह विद्युत का बहुत अच्छा चालक है।
(2) इसकी चालकता 90 प्रतिशत होती है।
(3) शुद्ध ताम्बे का विशिष्ट प्रतिरोध 1.7 से.मी. होता है।