Showing posts with label पाठ 10. Show all posts
Showing posts with label पाठ 10. Show all posts

औद्योगिक एवं घरेलू वायरिंग - 2

  • वायरिंग ले-आउट के लिए निम्न पदों का अनुसरण किया जाता है -
  1. सबसे पहले भवन का सिविल इंजिनियर द्वारा बना ले-आउट लेते है।
  2. ले-आउट में विद्युत लाइन के प्रवेश एवं निर्गत स्थानों को चिन्हित करते हैं।
  3. ले-आउट में भवन मालिक की आवश्यकता के अनुसार विद्युत बल्ब, ट्यूबलाइट, पंखा, दीवार साॅकेट आदि के बिन्दु चिन्हित करते हैं।
  • स्प्लिट लोड वायर किसी भी उपभोक्ता इकाई में उपयोग होने वाला सबसे सुरक्षित प्रकार का वायर है जो कि ओवरलोडिंग, शोर्ट-सर्किट, अर्थ-लीकेज आदि समस्याओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • विभिन्न प्रकार के घरेलू उपकरणों के दोष ज्ञात करना तथा उनके दोष-निवारण का ज्ञान एक इलेक्ट्रिशियन के लिए अति आवश्यक है। अतः किसी भी उपकरण को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसका निरीक्षण व रख-रखाव समय-समय पर करना चाहिए।
  • सजावटी लाइटों के लिए ड्रम फ्लैशर, सीक्वेन्शियल कन्ट्रोलर, निऑन  फ्लैशर आदि उपयोग में लिए जाते हैं।
  • बंद हुए सजावटी बल्बों की श्रेणी में से फ्यूज बल्ब का पता लगाने के लिए निम्न दो विधियां प्रयोग की जाती है -
  1. JFET विधि
  2. निऑन बल्ब विधि 

औद्योगिक एवं घरेलू वायरिंग - 1


  • औद्योगिक वायरिंग, घरेलू तथा व्यावसायिक वायरिंग के ही समान होती है। औद्योगिक तथा घरेलू दोनों प्रकार की वायरिंग में त्रिकलीय-चार तार प्रणाली उपयोग में ली जाती है। औद्योगिक वायरिंग में स्विच-फ्यूज के स्थान पर सर्किट ब्रेकर का उपयोग किया जाता है।
  • मानक कोड SI 732: 1989 को इलेक्ट्रिक वायरिंग इन्सटॉलेशन  के लिए उपयोग किया जाता है।
  • मानक कोड SI 6665 रू 1972 को औद्योगिक लाइटिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
  • मानक कोड SI 3043 रू 1987 को अर्थिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
  • औद्योगिक कन्ट्रोल पेनल को उद्योगों में उपयोग किया जाता है। जिनका ऑपरेटिंग  वोल्टेज 600 वोल्ट या इससे कम होता है।
  • औद्योगिक कन्ट्रोल पेनल में पावर सर्किट उपकरण जैसे-अतिधारा युक्ति या मोटर कन्ट्रोलर, कन्ट्रोल सर्किट उपकरण जैसे पुश बटन, लाइटें तथा कन्ट्रोल रिले आदि उपयोग किये जाते हैं।
  • कन्ट्रोल पेनल की डिजाइन वैद्युत विशिष्टताएं जैसे - वोल्टेज, फेजों की संख्य, आवृत्ति, फुल लोड धारा रेटिंग, लघु परिपथ धारा रेटिंग आदि को ध्यान में रखकर करनी चाहिए।
  • किसी भवन में वैद्युत इन्सटॉलेशन  के कार्य की सफलता, वैद्युत वायरिंग के सही आयोजन पर निर्भर करती है। भवनों के लिए वायरिंग का आयोजन करते समय भविष्य में किए जाने वाले विस्तार, वायरिंग कार्य में सुगमता, वायरिंग के उपयोग के समय सुरक्षा तथा उचित प्रदीपन को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त भारतीय विद्युत नियमों का भी पालन किया जाना चाहिए। आवासीय भवन की वायरिंग के लिए उस भवन का मानचित्र एवं भवन मालिक की आवश्यकताओं के अनुरूप ही वैद्युत वायरिंग की योजना तैयार की जाती है। 

सामान्य फिटिंग टूल्स - 3

कैलीपर एक साधारण मापन (Measuring) यंत्र है, जिसका उपयोग स्टील टूल्स से जॉब  तक और इसके विपरीत मापन कर अन्तरण करने के लिए किया जाता है। कैलीपर के लैग के आकार एवं जोड़ की किस्म के अनुसार ये विभिन्न प्रकार के होते हैं-
जोड़ के अनुसार कैलीपर दो प्रकार के होते है -
(1) दृढ़ जोड़ वाले कैलीपर (Firm Joint Caliper)
(2) स्प्रिंग जोड़ वले कैलीपर (Spring Joint Caliper)
लैग के अनुसार कैलीपर निम्न प्रकार के होते है -
(1) ब्राह्य कैलीपर (Outside Caliper)
(2) आन्तरिक कैलीपर (Inside Caliper)
(3) जैनी कैलीपर (Jenny Caliper)
जब किसी जॉब  पर परिशुद्ध (Accurate) विमितिय विशेषतओं को अंकित करना होता है तब यह परम आवश्यक है कि डाटम प्लेन पूर्णतः समतल सतह हो।
असमतल सतह को डाटम मानने से विमाएं (Dimensions ) अपरिशुद्ध हो सकती है।
मशीन शॉप के कार्यो के लिए सबसे अधिक उपयोग में आने वाली डाटम सतह सरफेस प्लेट एवं नम्बर प्लेट है। सरफेस प्लेट सामान्यतः अच्छे गुणों वाले ढलवां लोहे से बनायी जाती है, जिसमें विरूपण (Distorsion) से बचाव के लिए प्रतिबलों को दूर कर दिया जाता है।

सामान्य फिटिंग टूल्स - 2

टूल के प्रकार
क्र.स.     टूल का नाम        नाम     
1.            कटिंग टूल           हस्त सॉ, टेनन सॉ,                पैड- सॉ ,या की-होल सॉ  
2.            कटिंग टूल           हस्त रेती            , वर्ग रेती,त्रिकोनी रेती   
3.            कटिंग टूल           चैरसी छैनी,साल छैनी, सॉकेट छैनी           
4.            कटिंग टूल           हैक्सों  
5.            मार्किंग टूल         परती पैमाना,सीधी पट्टी पैमाना   
6.            मार्किंग टूल         ट्राई रक्वायर      
7.            मार्किंग टूल         डिवाइडर         
8.            मार्किंग टूल         खरोचनी          
9.            चैट मारने वाला टूल         हैमर    
10.          पकड़ने वला टूल              वाइस
वर्कशॉप  में प्रतिदिन सुराख करने क आवश्यकता रहती है, अतः इन सुराखों को करने के लिए जिस टूल का प्रयोग किया जाता है उसे ड्रिल (Drill) अथवा बरमा कहते है।
ड्रिल द्वारा धातु में सुराख करने के लिए जिस मशीन का प्रयोग किया जाता है, उसे ड्रिलिंग मशीन (Drilling Machine) कहते है।
किसी गोल सुराख टैप द्वारा चूड़ी काटने की क्रिया को टैपिंग (Tappings) कहते है। टैपिंग में प्रयुक्त उपकरण को टेप कहते है। 

सामान्य फिटिंग टूल्स - 1



वे मशीन टूल्स जो किसी मशीन की संरचना एवं आवश्यकता होने पर इनकी मरम्मत के लिए आवश्यक होते है फिटिंग टूल्स कहलाते है। जैसे - रेती, प्लायर, हैमर, डाई व रेंच आदि।
 उपयोग के आधार पर इन्हें निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है -
1. कटिंग टूल्स (Cutting tools)
2. मार्किंग टूल्स (Marking tools)
3. चोट मारने वाले टूल्स (Striking tools)
4. पकड़ने वाले टूल्स (Holding tools)
5. ड्रिलिंग टूल्स (Drilling tools) 
6. प्लेनिंग टूल्स (Planning tools)
 वे टूल्स जो किसी कार्यखण्ड (workpice) से अतिरिक्त भाग को हटाने के लिए काम में लिए जाते हैं कटिंग टूल्स कहलाते है।