अर्थिंग - 1

यह विधि जिसमें परिपथ के शॉर्ट होने पर उससे प्रवाहित लघु परिपथ (Short circuit) धारा को एक इलेक्ट्रॉड की सहायता से भूमि में सुगमतापूर्वक प्रवाहित किया जा सके, अर्थिंग कहलाती है।
भारतीय विद्युत नियम- 1956 के 32, 51, 61, 62, 67, 69, 89 व 90 उप-नियम इसके लिए प्रभावी है।
यदि हम डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड की मेटल बॉडी को अर्थ वायर की सहायता से अर्थिंग प्रदान करते है तो विद्युतीय शॉक से बचा जा सकता है।
एक धातु का पाइप, वाटर पाइप या अन्य कन्डक्टर जो भारतीय विद्युत नियमों के अनुरूप हो उसे पृथ्वी में दबा दिया जाता है, अर्थ इलेक्ट्रॉड कहलाता है।
अर्थिंग के लिए जब दो भागों को एक चालक द्वारा जोड़ा जाता है तथा फ़ॉल्ट  होने पर इससे फ़ॉल्ट धारा प्रवाहित होती है, इसे अर्थ चालक कहते है।
वह तार जिससे अर्थ इलेक्ट्रॉड को कनेक्ट किया जाता है, अर्थिंग लीड कहलाता है।
वह तार जो विद्युत चार्ज से पूर्ण हो, और अर्थ के साथ विभवान्तर रखे, लाइव तार कहलाता है।
प्लेट की सहायता से की गई अर्थिंग प्लेट अर्थिंग कहलाती है। यह अर्थिंग सरल व विश्वसनीय होती है। इस विधि में भूमि में लगभग 2-2.5 मीटर अथवा वहां तक जहां नमी निकल आए गड्ढ़ा बनाया जाता है।