रेक्टिफायर परिपथ - 2


सेतु रेक्टिफायर में चार डायोड एक व्हीटस्टोन सेतु की भांति आपस में जुड़े होते है। यह पूर्ण तरंग रेक्टिफायर का ही एक रूप है।
किसी भी रेक्टिफायर परिपथ का निर्गत् पूर्ण रूप से डी.सी नहीं होता है बल्कि इसमें ए.सी. के कुछ अवयव विद्यमान होते हैं जिन्हें रिपल (Ripple) कहते है।
किसी भी रक्टिफायर परिपथ के निर्गत में प्राप्त पल्सेटिंग डी.सी. (Pulsating DC) में से रिपल के मान को अधिकतम संभव कम करना आवश्यक होता है। इसके लिए फिल्टर (Filter) परिपथ प्रयुक्त किए जाते हैं।
श्रेणी प्रेरक फिल्टर में एक उच्च मान (High Value) के प्रेरक (Inductor) L को रेक्टिफायर अवयव तथा लोड के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
शंट संधारित्र फिल्टर बहुतायत में उपयोग होने वाला एवं सबसे साधारण फिल्टर परिपथ है। इसमें एक उच्च मान का संधारित्र (Capacitorत) ब् रेक्टिफायर के निर्गत सिरों पर जोड़ दिया जाता है।
L फिल्टर या चोक निवेश फिल्टर L तथा C के संयोजन से प्राप्त फिल्टर होता है। इसे C सदैव Voltage  Stabilizing aciton प्रदान करता है तथा L Current Smoothing Action  प्रदान करता है। प्रेरक तथा संधारित्र के संयोजन से Ripples का मान घटाया जा सकता है।
पाई(3.14)-फिल्टर (पाई-फिल्टर) में एक शंट संधारित्र C (निवेशी सिरे पर), एक प्रेरक (L) तथा शंट संधारित्र (C2) आपस में जुड़े होते है। इसे पाई-फिल्टर (3.14-फिल्टर) कहते है क्योंकि L एवं C1 तथा C2 का संयोजक ग्रीक अक्षर पाई(3.14 के समान प्रतीत होता है। इस फिल्टर में रेक्टिफायर निर्गत प्रत्यक्ष रूप से C1 पर दिया जाता है। अतः इसे अर्द्ध तरंग रेक्टिफायर में भी प्रयुक्त किया जा सकता है।